Kachchatheevu Island पर श्रीलंका की और से गुस्सेवाला स्टेटमेंट आया है की “अगर पाकिस्तान कहता है की “गोवा ले लेंगे”, तो भारत को कैसा लगेगा”?

Kachchatheevu Island को लेकर हाल ही में श्रीलंका की सरकार इनके जो पूर्व एम्बेसीटर है उनकी तरफ से काफी ज्यादा गुस्से वाले स्टेटमेंट आए है Kachchatheevu Island को लेकर उन्होंने कहा की भारत में जो आवाजे उठ रही है की Kachchatheevu Island गलत तरीके से श्रीलंका को दे दिया गया है। यह भारत की एक मीस्टेक भूल थी इंदिरा गांधी की ये जो बाते चल रही है भारत में इसको लेके श्रीलंका के भारत में जो एनवॉय है इन्हों ने कहा की “अगर आपको पाकिस्तान कहता है की हम कुछ Encroachment करेंगे गोवा के आसपास या भारत के किसी और एरिया के आसपास तो इंडिया क्या इसको सहन करेगा”?Kachchatheevu Island पर श्रीलंका की और से गुस्सेवाला स्टेटमेंट आया है की “अगर पाकिस्तान कहता है की “गोवा ले लेंगे”, तो भारत को कैसा लगेगा”?

ये बहुत ही अजीब सा स्टेटमेंट दिया गया है क्योंकि गोवा की बात कह रहे है तो उनको पुर्तगाल की बात करनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान का गोवा के साथ कोई लेनादेना नहीं है लेकिन यह देख पा रहे है की  श्रीलंका ईस बात को लेकर काफी गुस्सा है की अब Kachchatheevu Island पर काफी दशक बाद ये बात क्यों रही है? ये लोग ओपनली केह रहे हैं की Kachchatheevu Island का जो इसयू था वो सॉल्व हो चुका है। ये श्रीलंका को बीलोंग करता है। इनके हिसाब से और आगे कोई भी ओर चर्चा इस पर करने की आवशयकता नहीं है।

Kachchatheevu Island को लेकर श्रीलंका इतना सेंसेटिव क्यों है?

  • लोकसभा में Kachchatheevu आइलैंड पर प्रधानमंत्री पीएम मोदी का एक स्पीच था और ऐसा नहीं था की पीएम मोदी ने खुद ही इस टॉपिक पर बयान दे दिया। लेकिन पीएम मोदी को विनंती की गई थी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन द्वारा।
  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन द्वारा पीएम मोदीजी को चिट्ठी लिखी गई थी की “Kachchatheevu Islandको फिर से लेके आइए जिससे भारत के मछवारों का कल्याण हो सके” तो इसके जवाब में मोदीजी ने संसंद में खड़ा होकर यह कहा की जो Kachchatheevu Islandपुरा इशयू है उसके इतिहास को जानना होगा क्योंकि यह इसयू आज के दिन में तमिलनाडु के मछवारों को पीड़ा दे रहा है।
  • भारत और श्रीलंका के बीच में यह द्वीप दिखेगा। इतिहास के हिसाब से देखें तो Kachchatheevu Islandभारत को बीलोंग करता है क्योंकि कई सदियों तक यह एरिया है वो इंडियन एमपायर के पास था और साथ ही साथ ब्रिटिश इंडिया के टाइम पे यह टापू मद्रास प्रेसीडेंसी का भाग था।
  • हालांकी श्रीलंका ने 1920-30 के बाद ईस टापू पर हक जमाना शुरू कर दीया था। उनका कहना था की यह टापू श्रीलंका को बीलोंग करता है।
  • यह कारण सिम्पल यह है की, ये जो पूरा एरिया जो है पाक स्ट्रैट का उसके आसपास का यह फीशिंग करने के लिए मछवारों को बहुत सारे प्रॉब्लेम का सामना करना पड़ता है।
  • भारत के मछवारों का दुख यही है की जो माछली पकड़ने के लिए ईस एरिया में जाते है तो श्रीलंका की जो नेवी है वो भारतीय मछवारों को पकड़ के जेल में डाल देते हैं और कई सालों तक हमारे मछवारों पर गोलियां चलाई जाती है तो ये सबकी हम अवगणना करते थे।

लेकिन श्रीलंका खुल के कहता है की 1974 और 1976 में जो एग्रीमेंट हुआ था वो याद करो, वो समजोता याद करो, ना सिर्फ तुमने(भारत) यह कहा था की Kachchatheevu Islandश्रीलंका का है लेकिन इंडिया ने अपने फीशिंग राइट्स भी सरेंडर कर दिए थे। तो मछली पकड़ने का अधिकार तुमको नही मिलता, हाल ही में श्रीलंका ने यह कहा है।Kachchatheevu Island को लेकर श्रीलंका इतना सेंसेटिव क्यों है? इंदीरा गांधीजी की सरकार ने क्यों श्रीलंका को दे दिया इस द्वीप को ?

1961 में जवाहर लाल नेहरू ने कहा था की”Kachchatheevu Island कोई खास टापू नहीं है। 

  • इतिहास में अगर हम देखे तो 1961 में हमारे पहेले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से पूछा गया की Kachchatheevu Islandमें आप क्या कहेंगे तो उसके बारे में उन्होंने यह कहा की “यहां पर चर्च है एक सेंट एंथोनी चर्च तो यह कोई खास टापू नहीं है इसका इतना महत्व कुछ है नहीं, तो जिससे हमें इसको श्रीलंका को देने में कोई प्रोबलेम नहीं है” और 1973 के बाद इंदिरा गांधीजी ने नेगोशिएशन करि इस टापू को लेकर इंदिरा गांधी की भारतसरकार ने ईस पर निर्णय लिया की Kachchatheevu Islandको दोस्ती के संबंध के नाम पे श्रीलंका को दे दिया जाएगा।
  • इसमे इंदीरा गांधी की भारत सरकार से सबसे बड़ा बलन्डर यह हुआ की टापू के साथ-साथ हमारी सरकार ने फिशिंग के जो राइट्स (हक) थे उसको भी सरेंडर कर दिया गया।
  • अगर बातचित में यह रखते की चलो एक बार कच्छतीवू द्वीप श्रीलंका को संबंध निभाने के लिए उनको दे दिया लेकिन फीशिंग के लिए भारत को भी हक लेना चाहीई था, क्योंकी अभी भारत के जो मछवारे जो है अभी रो रहे हैं की हमने ये क्या कर दिया है जिसकी वजह से हमारे मछवारे आज भी बहुत सफर कर रहे हैं।
  • ये जो कच्छतीवू द्वीप को लेकर मांगे हैं वो तमिलनाडु स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से उठ रही है तो इंडिया को अपना जो स्टानस है उसको चेंज करना होगा।
  • हमारी भारत सरकार का कहना है की जो यह समजोता करके बैठ गए हैं तो हम क्या करें उसका! तो आज के जिओ पॉलीटिकल सीनारियो में भारत अगर कच्छतीवू द्वीप वापस ले ले तो क्योंकि हमारी नौसेना बहुत ही मजबूत है जो एक दिन में भी ले सकती है। लेकिन इसके बाद चीन का इनफ्लूएंस श्रीलंका में बहुत बढ़ जाएगा और मालदीव जैसे देशों को भारत पेन बोलने के बहाने मिल जायेंगे।
  • ईसिलिए यह इस्यू इतना आसनी से सॉल्व होने वाला नहीं है तो हमें श्रीलंका के साथ बैठ के बात करनी चाहिए, जो एग्रीमेंट हो गए हैं उसमें हम एमेंडमेंट (संशोधन सुधारो) कर सकते हैं और इन भारतीय मछवारों के हम कुछ सॉल्यूशन निकाल सकते हैं।
  • हम यहां पर देख सकते हैं की इंदिरा गांधी की सरकार के वक्त कितना बड़ा बलन्डर हो गया है उसके बारे में हमारे विदेश मंत्री जयशंकरजी ने भी कहा था की “हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा जो की कच्छतीवू द्वीप के बारें में एसा कहा था की उसका कोई महत्व नहीं है”।Kachchatheevu Island पर 1961 में जवाहर लाल नेहरू ने कहा था की “यह कोई खास टापू नहीं है इसका इतना महत्व कुछ है नहीं, तो जिससे हमें इसको श्रीलंका को देने में कोई प्रोबलेम नहीं है”

निष्कर्ष

श्रीलंका ने अपनी साइड से क्लियर कह दिया है की इसके बारे में कोई चर्चा नहीं होगी। लेकिन श्रीलंका को इस तरह से नहीं कहना चाहीई क्योंकी, भारत जो है वह श्रीलंका को इतनी मानवीय मदद करता है उनका इंफ्रास्ट्रक्चर भारतीय पैसों से बनता है तो ऐसे कंट्री के साथ की जो आपकी इतनी ज्यादा मदद करता है और अलग-अलग तरीके से लोन प्रोवाइड करता है एसे देश के साथ बेठकर चर्चा तो हो सकती हैं इसके बारे में और चर्चा के बाद होगा क्या यह देखना होगा ए जो इस्यू है वो इतनी आसनी से सॉल्व होगा नहीं। अब आगे देखना रहेगा की होता क्या है?Kachchatheevu Island पर श्रीलंका की और से गुस्सेवाला स्टेटमेंट आया है की “अगर पाकिस्तान कहता है की “गोवा ले लेंगे”, तो भारत को कैसा लगेगा”?

पूछे जानेवाले प्रश्न:-

  1. कच्छतीवू द्वीप कहाँ पर स्थित है?
  • कच्छतीवू द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच पाक स्ट्रैट में एक निर्जन द्वीप है।
  1. कच्छतीवू द्वीप पर चर्च है उसका नाम क्या है?
  • कच्छतीवू द्वीप पर चर्च है उसका नाम सेंट एंथोनी चर्च है।
  1. कच्छतीवू द्वीप कितने एरिया में फेला हुआ है?
  • कच्छतीवू द्वीप 285 एकर में फेला हुआ है।
  1. कच्छतीवू द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने की मांग कहा से उठी है?
  • कच्छतीवू द्वीप को वापस लेने की मांग तमिलनाडु की राज्य सरकार से उठी है।
  1. कच्छतीवू द्वीप को कीस समजोते के तहत श्रीलंका को सौंप दिया गया था?
  • कच्छतीवू द्वीप को 1973-74 इंदीरा गांधी की सरकार के तहत दोस्ती के संबंध में श्रीलंका को सौंप दिया गया था।

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