2029 से ONE NATION ONE ELECTION? – एक देश एक चुनाव क्यूँ? क्या है इसके फायदे और चेंलेन्जीस ?

2029 से ONE NATION ONE ELECTION? One Nation One Election (एक देश एक चुनाव): – एक एसी चुनावी व्यवस्था, जहां प्रत्येक पाँच वर्ष में सभी राज्यों के चुनाव लोकसभा के आम चुनावों के साथ-साथ संपन्न हो। Simultaneous Election की बात हो रही है उसका का सिम्पल मतलब होता है की “एक देश एक साथ चुनाव”।

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One Nation One Election आखिर इतना चर्चा में क्यूँ है? क्यों जरूरी है? इसमे चिंता की बात यह है की भारत में हमेंशा चुनावी माहोल बना रहेता है। अगर हम इस देश के नागरिक है तो हमे 5 सालों में कई बार चुनावों में शामिल होना पड़ता है। जिसकी वजह से लोगों का ध्यान चुनावी जुमलों की और ज्यादा आकर्षित होता है बजाय की देश में अशिक्षा, गरीबी, और बेरोजगारी की समस्या।

इसलिए ही One Nation One Election का मुद्दा उठाया जा रहा है क्योंकि यहाँ अलग अलग चुनावों की वजह से प्रशासन को काफ़ी ख़र्चा उठाना पड़ता है। अगर ये लागू होता है तो काफ़ी ख़र्चा बच जाएगा और प्रशासन को भी अपने कामों के लिए टाइम मिल पाएगा।

उद्देश्य:-

चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाए और चुनावों की आवृति को कम किया जाए; समय और संसाधनों की बचत हो।

पृष्ठभूमि- देश में चुनाव का इतिहास

  • आज़ादी के बाद देश में पहली बार आम चुनाव 1951-1952 में हुए थे। तब लोक सभा और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे।
  • 1957,1962,1967 में भी चुनाव एक साथ कराए गए लेकिन फिर से सिलसिला टूटा।
  • वर्ष 1968 और 1969 मैं कुछ राज्यों की विधानसभाओ का कई कारणों से समय से पहले भंग कर दी गई थी।
  • 1970 में स्वयं लोकसभा का समय पूर्व विघटन हो गया था। जिससे 1971 में चुनाव समय से पहले हुए थे। इसके बाद से ही देश में लोक सभा और विधान सभा के चुनाव अलग अलग समय पर होते रहे।
  • वर्ष 1983 में दोबारा चुनाव आयोग ध्वारा इस अवसाधरण को पेश किया गया।

कोविन्द समिति ONE NATION ONE ELECTION

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में One Nation One Election (एक देश एक चुनाव) को लेकर उच्च स्तरीय समिति बिठायी गई थी। उस समिति राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूजी को 18626 पन्ने की ये रिपोर्ट पेश की है। इस समिति का गठन सितंबर 2023 को हुआ।
  • 191 दिनों तक शोध और विशेषज्ञनों समेत कई सटेकहोल्डर्स से बातचीत और विचार विमर्श के बाद समिति ने रिपोर्ट तैयार की है।
  • सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति ने साल 2029 तक एक साथ चुनाव कराए जाने की अनुसंशा की है।One Nation One Election पर दिल्ली में कुल 65 मीटिंग की इसमे लास्ट मीटिंग 10 मार्च को हुई थी जीसमें पूरी डिटेल रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के अध्यक्षता वाली समिति ने One Nation One Election पर दी गई रिपोर्ट पर एक जलक आखिर क्या कहा है इस रिपोर्ट में?

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के अध्यक्षता वाली समिति ने One Nation One Election पर दिल्ली में कुल 65 मीटिंग की इसमे लास्ट मीटिंग 10 मार्च को हुई थी जीसमें पूरी डिटेल रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। उसमे बताया गया है की….

  1. रिपोर्ट में साल 2029 से एक साथ चुनाव करने की सिफारिश की गई है। इसके लिए संविधान में संशोधन की सिफारिश भी की है। इसमे लोकसभा, विधानसभा और लोकल लेवल चुनाव के लिए एंक वॉटर लिस्ट (एक मतदाता सूची) रखने की बात भी सामने आई है।
  2. देश में One Nation One Election कराई कैसे जाएंगे इसका रास्ता भी समितिने सुझाया है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं और इसके बाद सौ दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं.
  3. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि one nation one election पर 47 राजनैतिक दलों ने समिति को अपनी राय दी. उसमें 32 ने पक्ष में और जबकि 15 ने विपक्ष में मत रखा है BJP इसके पक्ष में रही और कांग्रेस विपक्ष में।
  4. समितिने कहा है कि सारे चुनाव अलग अलग कराने से कई स्तरों पर नुक़सान होता है जैसे की बार बार इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ती है उसमें ख़र्च आता है और अन्य मोर्चों पर जहाँ एक जवान तैनात हो सकते हैं वहाँ से संमजोता करना पड़ता है।
  5. रिपोर्ट कहती है कि अलग अलग चुनाव कराने से शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों के स्तर पर भी नुक़सान होता है। क्योंकि शिक्षकों को बार बार चुनाव संबंधी कामों में लगाना पड़ता है कई स्थानों पर स्कूलों में पोलिंग बूथ भी बनते हैं।
  6. जिन वर्षों में देश में एक साथ चुनाव हुए और जिन वर्षों में अलग अलग उन सभी वर्षों की GDP ग्रोथ वृद्धि पर समितिने श्रेणी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि जिन वर्षों में साथ साथ चुनाव हुए उसमें GDP ग्रोथ क़रीब डेढ़ फ़ीसदी बढ़ी हुई है।

One Nation One Election समिति में कौन कौन थे?

हमारे पूर्व राष्ट्रपति जी रामनाथ कोविंद अध्यक्ष थे और क़ानून मंत्रीश्री अर्जुन राम मेघवाल, गृह मंत्री श्री अमित शाह, DPAP के अध्यक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद, वित् आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोक सभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी ये सब इस समिति में थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में One Nation One Election  को लेकर उच्च स्तरीय समिति बिठायी गई थी।

एक साथ चुनाव क्यों लाया जाना चाहिए?

  • चुनावी लागत मतलब की एक बार लोक सभा के चुनाव के लिए अंदाजीत ख़र्च 4, हज़ार करोड़ रुपये किया जाता है।
  • हर वर्ष में पाँच से छह राज्यों में चुनाव होते हैं जिसकी वजह से पूरी मशीनरी पुर राज्य कि इस चुनाव के कार्य में लग जाती है और कितने भी केंद्रीय मंत्री और राज्य के मंत्री सभी चुनावी अभियान मोड़ में चले जाते हैं।  जिससे शासन पर और कामकाज  पर काफ़ी गहरा असर पड़ता है और जिस राज्य में चुनाव होते हैं इस राज्य में आदर्श आचार संहिता 45-60 दिन की लगती हैं इसलिए उसी राज्य में उसने दिनों में कोई महत्वपूर्ण निर्णय केंद्र सरकार या राज्य सरकार नहीं ले सकते जिससे कोई नयी  परियोजनाओं को अंजाम नहीं दिया जाता है वो उस दिनों में जिससे शासन की हानि होती है तो इस पर से आप समज ही गए होंगे की एक साथ चुनाव लाभदायी है या नहीं।

कोविन्द समिति के बिन्दु क्या है?

कोविन्द समिति के मुख्य बिन्दु वो सबसे पहेले लोकसभा और विधानसभा पे बात करेंगे और उसके बाद पंचायती राज चुनाव और नगरपालिकाओ के चुनाव के बारे में बात करेंगे।

एक साथ मतदान के लिए, कानून बनाने की संसद की शक्ति। कोविन्द समिति द्वारा अनुशंसित पहला विधेयक संविधान में एक नया अनुच्छेद-82A –सम्मिलित करके शुरू होगा। अनुच्छेद-82A

  • अनुच्छेद-82A : सम्मिलित करके शुरू होगा।जब लोकसभा चुनाव होगा उसके बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों एक साथ बेठेंग उसमे राष्ट्रपति आएंगे और इस बात को अनुमोदित करेंगे की हमारे संविधान में अनुच्छेद-82A को लागू किया जाता है और अनुच्छेद-82A को “नियुकत तारीख” (Date Of Appointment) कहा जाएगा। मतलब की राष्ट्रपति आएंगे और एलान करेंगे की आज से देश में जीतने भी चुनाव होंगे वो एक साथ ही होंगे तो ए हो गया “नियुकत तारीख” (Date Of Appointment) मतलब की ये नियत तारीख की जाएगी इसके बाद चुनाव होंगे वो एक साथ ही होंगे।
  • अनुच्छेद-82A(2) में कहा गया है की नियत तारीख के बाद होनेवाले किसी भी आम चुनाव में गठित सभी विधानसभाए, लोकसभाए, लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर समाप्त हो जाएंगी।
  • अनुच्छेद-82A(3) में इसीआई को यह कार्यभार सोपा जाएगा की आप पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए। तो ये भारत का जो चुनाव आयोग है उसको ये जवाबदारी दी जाएगी।
  • अनुच्छेद-82A(4) में इसीआई का मानना है की किसी भी विधानसभा में अगर चुनाव नहीं कराए जा सकते तो वो राष्ट्रपति को सिफारिश भेज सकते है।
  • अनुच्छेद-82A(5) में विधानसभा का कार्यकाल उसी दिन समाप्त होगा जिस दिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होगा। मतलब जो Date Of Appointment होगा उसी दिन विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होगा।
  • अनुच्छेद-327 ये संसद को इस बात की शक्ति देता है की आप लोकसभा, राज्यसभा, और राज्य विधानसभाओ के चुनावों से संबंधित कानून बना सकते है और परिसीमन भी शामील है। कानून के साथ साथ आप यह भी बना सकते है की देश में एक साथ चुनाव हो। तो एक साथ चुनाव करवाने के लिए इस अनुच्छेद में संशोधन की आवश्यकता है।
  • जब लोकसभा या राज्य विधानसभा “पूर्ण कार्यकाल” समाप्त होने से पहेले भंग हो जाती है

उसके लिए Date Of Appointment के पहेले का जितने समय पहेले ये भंग हुई उतने समय के लिए ही बनाई जाएगी और फिर अगले चुनाव Date Of Appointment नियुक्त तारीख पे ही होंगे। तो अनुच्छेद 83(3) और अनुच्छेद 172(2) में सुजाये गए संशोधनों के अनुसार शेष अवधि को “असमाप्त कार्यकाल” के रूप में संदर्भित किया जाएगा।

  • एसे प्रावधान इसमे अनुच्छेद 83 के उपखंड 2 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 के उपखंड 1 (संसद के सदनों की अवधि) में संशोधन करके इस पाँच साल की अवधि को पूर्ण कार्यकाल के रूप में संदर्भित किया जाएगा।

एकसाथ स्थानीय निकाय चुनाव मतदातासूची तैयार करना अनुच्छेद 368(2)

  • समिति ने संविधान में एक नया अनुच्छेद 324A शामिल करने का सुझाव दिया है। ये अनुच्छेद सांसद को यह सुनिश्चित करने के लिए क़ानून बनाने का अधिकार देगा की नगरपालिका और पंचायत के आम चुनाव लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के साथ ही आयोजित किए जाएं।
  • 325 मैं नए उपखंड जोड़े जाने चाहिए- संसद के किसी भी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के सदन या किसी भी सदन के चुनाव के लिए क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सामान्य मतदाता सूची होगी।
  • समिति के द्वारा प्रस्तावित नया अनुच्छेद 325(2) “लोगों के सदन, राज्य के विधान मंडल या नगरपालिका या पंचायत चुनाव के लिए प्रत्येक क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एकल मतदाता सूची बनाएगा।
  • अगर यह सिफारिश स्वीकार कर ली जाती है, तो मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया ECI-Election Commission of India द्वारा संभाल ली जाएगी, और राज्य चुनाव आयोग पूरी तरह से परामर्शदात्री की भूमिका निभाएगा।

भारत में ONE NATION ONE ELECTION के लाभ

  • बार बार चुनाव आयोजित होने से शीर्ष नेताओ और प्रशाशन का ध्यान भटकाव।
  • अलग अलग दौर मे आदर्श आचारसंहिता में
  • लागत बचत होंगी क्योंकि जो चुनाव के लिए जो खर्च बार बार होता है वो एक साथ चुनाव होने से पेसे का खर्च कम हो जाएगा और उसमे बचत होगी।
  • एक ही बार चुनाव होने से नागरिकों की सुविधा के कोई विघ्न नहीं आएगा उनको सुविधाए मिलती रहेगी;
  • हॉर्स-ट्रैडिंग और दलबदल पर अंकुश- मतलब बहुत सारे नेता एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में जाते है जीससे जनता का विश्वास डगमगाता है वो अब एक ही बार होगा।पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के अध्यक्षता वाली समिति ने One Nation One Election पर दी गई रिपोर्ट

ONE NATION ONE ELECTION-ONOE की चेलेंजीस।

  • संवैधानिक चिंताए – मतलब की सभी जगह एक पार्टी नहीं होती अलग अलग राज्य मे अलग पार्टी होती है जिससे सभी राज्य की सम्मति मिलन जेसी चिंताए।
  • ONOE को लागू करने के लिए एक साथ सब जगह के लिए मशीनरी, लोजिस्टिक कर्मियों, सुरक्षा, करना ये सब चुनोती आएगी।
  • संघवाद की धारणा के विपरीत- राज्यों के स्वायता और स्वतंत्रा पर हमला क्योंकि एक साथ चुनाव होंगे तो केवल राष्ट्रीय मुद्दों की चर्चा पर ज्यादा ध्यान रहेगा और राज्य के खुद के प्रश्नों को पे कौन ध्यान देगा ये सब चुनौतिया आएगी।

पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 किस्से संबधित है?

– भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 संविधान के संशोधन से संबंधित है।

2.one nation one election के लिए कॉनसी समिति की रचना की गई थी?

– one nation one election के लिए कोविन्द समिति की रचना की गई थी।

3.कोविन्द समिति के अध्यक्ष कौन थे?

– कोविन्द समिति के अध्यक्ष हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द थे।

4.कोविन्द समिति की रचना कब की गई थी?

– कोविन्द समिति की रचना सितंबर 2023 को की गई थी।

5.कोविन्द समिति ने कितने पन्नों का रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूजी को दी?

– कोविन्द समिति ने 18626 पन्नों का रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मूजी को सोंप दी है।

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